कुछ यादों की डायरी : अगस्त 2021
अगस्त...!
अगस्त तो झमाझम मस्त कलंदर होकर आया लेकिन बंदर उसका रास्ता काट गया..! नहीं समझे..? हुआ ये कि हमने सोचा कुछ लिख लेते हैं, लिखना शुरू भी कर दिया लेकिन फिर तबियत की बैंड बजी और हम लिखना छोड़कर ऐसे ही बैठ लिए।
वैसे भी जीवन में चुनैतियों और पनौतियों की कोई कमी नहीं रही लेकिन इस महीने ने पनौती कम अपने कुछ ज्यादा दिए! बाकी ऐसा नहीं है कि लिखने के अलावा जीवन में कोई और काम नहीं है, काम तो बहुत है मगर यार करना कौन चाहता है...! हम तो ठहरे आलस के पुजारी, बड़े वाले पुजारी... सबसे बड़े वाले ही मान लो..! प्यास लगने के बाद भी पांच मिनट तक ये सोचते हैं कि पानी पीने जाए या फिर नहीं...! अब खुद ही समझ जाओ लेवल हमारा..!
कुछ लोग अपनी हरकतों से बदल सकते, उन्हें संसार की कोई भी शक्ति नहीं बदल सकती..! हालांकि महीने का अंत आते आते हमने फिर लिखना शुरू कर ही दिया था। वैसे भी हम तो ठहरे ऐरे गैर नत्थू खैरे... हमई ज़िंदगी में रोज कुछ नया थोड़े होते रहता था जो रोज अलग अलग लिखे..!
बस अगस्त मिला कुछ ऐसे कि कुछ छोड़ गया, चीजे बदलती रहती हैं इसलिए आलस्य का परित्याग कर हमने उठने की लाख कोशिश की परन्तु आलस्य से हमारा बंधन इतना गहरा और मजबूत हो चुका था जिसे पल भर में तो क्या जीवन भर में नहीं तोड़ सकते थे। फिर भी ज़िंदगी है.. दोस्त हैं.. दोस्तों के साथ ही हर खुशी है..!
राधे राधे
#डायरी
🤫
26-Dec-2021 12:50 AM
बहुत खूब लेखन है आपका...!
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मनोज कुमार "MJ"
27-Dec-2021 03:38 PM
Thank you
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Swati chourasia
25-Dec-2021 07:22 PM
Wahh bohot hi khubsurat tarike se likha hai aapne aapni dairy 👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
27-Dec-2021 03:38 PM
Thank you
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